• Follow Us :

परिचय

मणिभद्र वीर इतिहास और कौन थे मणिभद्र वीर?

मणिभद्रवीर, जैसा कि किंवदंती है, उनका जन्म उज्जैन में उनके पूर्व जन्म में जैन श्रावक मानेकशॉ के रूप में हुआ था। वह एक कट्टर जैन श्रावक थे जिनके गुरु महाराज हेमविमल सुरजी थे। आगरा में अपने चातुर्मास के दौरान, मानेकशॉ शत्रुंजय (पलिताना) की पवित्रता और महत्व पर अपने गुरु के प्रवचनों से काफी प्रभावित थे। इसके कारण, उन्होंने शत्रुंजय के लिए पैदल जाने की कठिन तपस्या करने का निर्णय लिया और नवनियुनी यात्रा करने के लिए इसे समाप्त किया और 2 दिन (गपशप) के साथ रयान के पेड़ के नीचे उपवास किया।
अपने गुरु के आशीर्वाद से, उन्होंने कार्तिकी पूनम के शुभ दिन की स्थापना की। जब वह मगवाड़ा को पेश करने के करीब था, डकैतों के एक गिरोह ने उस पर और समूह पर हमला किया और उनसे लड़ते हुए उसने अपना सिर, हथियार और निचले शरीर को अलग करते हुए दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। मानेकशॉ, जो अपने नवकार मंत्र जाप और शत्रुंजय की पवित्रता में पूरी तरह से लीन थे, को इंद्र मणिभद्रवीरदेव के रूप में पुनर्जन्म मिला।

श्री मणिभद्र मूल रूप से एक यक्ष हैं, जिनकी पूजा भारतीय जन करते हैं। यह छह सशस्त्र यक्षों की एक छवि है जिसमें उनका वाहन हाथी है। श्रीफल और सुखदी उनके पसंदीदा हैं।

minbhdra_img
minbhdra_img

धारणा

पौराणिक रूप से यह कहा जाता है कि युद्ध करते समय, उनका शरीर तीन (3) भागों में कट गया और तीन अलग-अलग दिशाओं में गिर गया।

“पिंडी” यानी। “कमर से नीचे का हिस्सा” गुजरात के मगरवाड़ा में गिर गया, गुजरात में “धाद” (अग्लोद में निकाय) और उज्जैन, मध्य प्रदेश में “मशतक” (प्रमुख)। मूल रूप से भारत में मणिभद्र वीर के केवल तीन ही स्थान हैं – उज्जन, AGLOD और MAGARWADA।

मणिभद्र वीर – महत्व के स्थान

पौराणिक रूप से यह कहा जाता है कि युद्ध करते समय, उनका शरीर तीन (3) भागों में कट गया और तीन अलग-अलग दिशाओं में गिर गया। “पिंडी” यानी। “कमर से नीचे का हिस्सा” गुजरात के मगरवाड़ा में गिरता है, जिसका नाम ” धड ” है। गुजरात के अगलोद में निकाय और “मश्तक” अर्थात। मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रमुख हैं। मूल रूप से भारत में मियांभद्र वीर के केवल यही तीन स्थान हैं – उज्जन, AGLOD और MAGARADADA।

मगरवाडा दर्शन

मगरवाड़ा (पालनपुर जिला, गुजरात) में, मणिभद्र की एक मूर्ति है, विशेष रूप से “पिंडी” जो कि निचला शरीर है। यहां, बड़ी संख्या में भक्त श्रद्धांजलि देने और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए आते हैं। भगवान मणिभद्रवीर को चमत्कार बनाने के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति को पूजा करने से बुरी आत्माओं से धन और सुरक्षा मिलती है। सिर्फ जैन ही नहीं बल्कि गुजरात और राजस्थान के पड़ोसी राज्य के हिंदू भी बड़ी संख्या में अपनी प्रार्थना और पूजा करने के लिए आते हैं।

मगरवाडा फोटो

कार्यक्रम

मगरवाड़ा तीर्थ भूमि पर सर्वत भाई की दीक्षा

संक्रांति

मगरवाड़ा में भव्य संक्रान्ति महोत्सव
श्री माणिभद्रवीर देव जी के प्रागट्य मूल स्थान मगरवाड़ा तीर्थ भूमि के प्रांगण में भव्य संक्रान्ति महोत्सव का मंगल आयोजन हुआ।

पंजाब केशरी आचार्य श्रीमद विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म.सा, के समुदाय के श्रुतभास्कर, पूज्य गच्छाधिपति, आचार्य भगवंत श्रीमद विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी म.सा, पूज्य गणिवर्य श्री धर्मरत्न विजय जी म.सा,पूज्य साधक मुनि श्री नवीनचन्द्र विजय जी म.सा, आदि ठाणा एवं पूज्य माताजी साध्वी श्री अमितगुणा श्री जी म.सा साध्वी श्री पियुषपूर्णा श्री जी म.सा, आदि ठाणा की शुभ निश्रामें एवं मगरवाड़ा तीर्थ के श्रीपूज्य यति श्री विजयसोम जी महाराज के सानिध्य में
???? प्रातः मंगल मुहर्त में हवन का आयोजन हुआ। एवं प्रथम मंगल संक्रान्ति का श्रवण हुआ।
संक्रान्ति धर्म सभा – 10 बजे मंगलाचरण से प्रारंभ हुई – पारम्परिक गुरु आत्म को समर्पित भक्ति गीत श्री राकेश जी जैन दिल्ली, ने प्रस्तुत किया ।
श्री माणिभद्रवीर इंग्लिश मीडियम स्कूल मगरवाड़ा की बालिकाओं द्वारा सुंदर स्वागत गीत प्रस्तुत हुआ ।
????श्री बेला देसाई पालनपुर, श्री प्रकाश जी सूरत, श्री केवलचंद जी बेलापुर, श्री कनिका जैन लुधियाना,श्री मोहनलाल जी मुबई, आदि ने गुरु भक्ति के गीत प्रस्तुत किये ,एवं संगीतकार मंच संचालन श्री आंनद भाई खोडियारपुर वालो ने किया ।
???? पूज्य साधक मुनि श्री नविनचंद्र विजय जी म.सा, ने कहा की मगरवाड़ा साधना भूमि है जाग्रत स्थान है – गुरु इन्द्रदिन्न सूरि जी महाराज ने भी वीर देव की साधना उपासना की थी। जाप से पोजेटिव ऊर्जा प्राप्त होती है, प्रतिदिन जाप करें जाप अनुष्ठान बताया। ओर चामत्कारिक घटनाओँ का वर्णन किया ।
???? यति श्री विजय सोम जी महाराज
ने मगरवाड़ा में प्रथम बार संक्रान्ति पर्व मनाया जा रहा है उसके लिए खुशी व्यक्त की । पधारे हुए महानुभावो का स्वागत किया ।
तीर्थ भूमी के विशिष्ट अनुभवों का वर्णन किया।
???? विशेष अतिथि श्री किशोर सिंह जी सोलंकी
– ने सोलंकी वंश ओर जैन परम्परा का सामंजस्य इतिहास बताया श्री कुमारपाल महाराजा भी सोलंकी वंश के थे ।
???? श्री प्रकाश जी सोनिमालिया श्री महेंद्र जी धोका ने सादड़ी में मार्च मास की संक्रान्ति पर पधारने का सकल संघ को आमंतत्र दिया ।
????श्री पालनपुर संघ की ओर से सिद्धार्थ भाई अमित भाई, शैलेष भाई आदि ने विनंती की ओर 16 फरवरी को पालनपुर में प्रवेश 19 को प्रतिष्ठा महोत्सव की जानकारी दी।
???? श्री माणिभद्र ट्रस्ट मगरवाड़ा, एवं
प्रकाश सिंह कालूजी हेदुजी सोलंकी परिवार
राजपूत समाज की ओर से श्री मदार सिंह जी राजपूत , ग्राम पंचायत की ओर से सरपंच जी आदि ने पूज्य गुरुदेवों को कांबली अर्पण की।
????संक्रान्ति लाभार्थी – मगरवाड़ा निवास
प्रकाश सिंह कालूजी हेदुजी सोलंकी परिवार का बहुमान किया गया ।
???? दीक्षार्थी श्री रिकेश जैन, श्री अर्जुन कुमार जैन, श्री सर्वत भाई जैन , तीनो दीक्षार्थी का बहुमान श्री प्रकाश जी सोलंकी द्वारा किया गया ।
???? पूज्य मुनि श्री नवीनचंद्र विजय जी म.सा, ने श्री मणिभद्रवीर स्त्रोत्र एवं संक्रान्ति स्त्रोत्र का मंगलपाठ किया ।
???? श्री विजय जी कोचर बीकानेर वालो ने संक्रान्ति भजन प्रस्तुत किया ।
???? पूज्य गच्छाधिपति गुरुदेव ने – मगरवाड़ा भूमि से जुड़ी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का प्रवचन दिया ।
???? संक्रान्ति नाम का उद्घोष किया
क ???? गुरु आत्म वल्लभ परिवार ????

मगरवाडा वीडियो गैलरी

संपर्क करे

direction
Shree Manibhadra Veerdada…

Unnamed Road, Magarwada Rd, Taluka, Vadgam, Gujarat 385410

098255 73195 | Support

scrolltop