इस अवसर्पिणी काल में क्लेश, झगड़ा ज्यादा है और सुख शान्ति कम हैं – आज हमारे पास कोई तीर्थंकर नहीं है, केवली भगवंत नहीं है, कोई लब्धिवान् आत्मा नहीं है, तो हमारे जीवन में सुख शान्ति कैसे पाए? इसलिए परमात्मा और ज्ञानी भगवंत ने शान्ति के लिए जो रास्ते बताये है उनमे से एक है ‘भक्ति’ । भगवान के गुण का स्तोत्र-पाठ करना, जाप करना, माला फेरना, भजन-कीर्तन, नमन-स्मरण, दर्शन पूजन, अर्चन, जपन यह आठ प्रकार की भक्ति है । भक्त को जो भगवान बना दे वह जरिया है वह माध्यम है भक्ति, इसी भक्ति मार्ग में आप सब को जोड़ने का एक प्रयास ‘जिनशासन सेवक ग्रुप’ द्वारा।